पिता और माता ने लगाया आरोप, अधीक्षक ने बीमार बच्चे को हमें सौंपा, हुई मौत, कार्रवाई करे जिला प्रशासन.

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बीजापुर- पोर्टाकेबिनों में मासूमों की मौतों के मामलों में हर बार अधीक्षकों की लापरवाही वजह होती है। कई मामलों में नियमित मेडिकल चेकअप नहीं होना और देखरेख के अभाव में तबीयत ज़्यादा बिगड़ना मौत की वजह बनती है। आज दुगईगुड़ा पोर्टाकेबिन में तीसरी कक्षा में अध्यनरत छात्र नीतीश धुर्वा की मौत की खबर निकलकर आई। 
जिलाधिकारी के मुताबिक तीन दिन पहले अधीक्षक ने परिजनों को बुलाकर बच्चे को उनके साथ भेज दिया। तब बच्चे की स्तिथि स्थिर थी। लेकिन मृतक नीतीश के पिता अर्जुन धुर्वा और माता रत्नी धुर्वा ने आरोप लगाया कि नीतीश की तबीयत कई दिनों से खराब थी। उसे बुखार और मलेरिया बीमारी की आशंका थी। जब हमे अधीक्षक ने बुलाया तब भी नीतीश की तबीयत खराब थी। दो दिन बाद अपने गांव जिनिप्पा में नीतीश की मौत हो गई। परिजनों ने नीतीश की मौत के लिए अधीक्षक को जिम्मेदार माना है। परिजन चाहते हैं कि अधीक्षक पर कठोर कार्रवाई जिला प्रशासन करे। 

पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष कमलेश कारम और जनपद सदस्य मनोज अवलम ने बच्चे की मौत के लिए अधीक्षक और पोर्टाकेबिन संचालन करने वाले विभाग को जिम्मेदार माना है। नेताओं ने मांग की है कि इस मामले में स्पष्ट तौर से अधीक्षक की लापरवाही परिलक्षित हो रही है। जिला प्रशासन को अधीक्षक के खिलाफ कठोर कार्रवाई करके परिजनों को न्याय दिलाना चाहिए। 

गत वर्ष भी सही इलाज़ नहीं मिलने से हरीश उइका की मौत हुई थी। हरीश की मौत के बाद अधीक्षक और छात्रों के बयानों में विरोधाभास था। अस्पताल प्रबंधन की भी हरीश के मौत मामले में गंभीरता नहीं दिखी थी। नियमित मेडिकल चेकअप नहीं होने से वायरल फीवर का समय पर उपचार नहीं हुआ और हरीश की मौत हो गई थी।
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