बीजापुर जिला मुख्यालय में संचालित गोलोबल पैरामेडिकल कोचिंग सेंटर पर गंभीर आरोप सामने आए हैं। यहां बच्चों को न तो समय पर पाठ्यसामग्री दी जा रही है और न ही योग्य शिक्षकों से पढ़ाया जा रहा है।
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📚 किताबों के पैसे लेने के बाद भी नहीं मिली किताबें
पहले सत्र में दाखिला लेने वाले कई छात्रों ने शिकायत की है कि उन्होंने किताबों के लिए निर्धारित फीस पूरी दी, लेकिन आज तक उन्हें एक भी किताब नहीं दी गई। छात्रों और उनके अभिभावकों का कहना है कि बिना किताबों के पढ़ाई कैसे संभव है?
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👨🏫 शिक्षकों की भारी कमी, पढ़ाई का स्तर बेहद कमजोर
कोचिंग सेंटर में प्रशिक्षित और विषय-विशेषज्ञ शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। सीमित स्टाफ के भरोसे छात्रों की पढ़ाई चल रही है। इससे छात्रों का आत्मविश्वास और परीक्षा की तैयारी दोनों प्रभावित हो रही है।
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⚠️ प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी कभी इस कोचिंग सेंटर का निरीक्षण करने नहीं आए। उन्होंने मांग की है कि जिला प्रशासन और शिक्षा अधिकारी इस मामले की तत्काल जांच करें।
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📣 परिजनों की मांग — सेंटर को बंद कर उचित वैकल्पिक व्यवस्था की जाए
> “बच्चों का भविष्य बर्बाद किया जा रहा है। यदि जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो इसका असर उनकी पूरी जिंदगी पर पड़ेगा,” — एक आक्रोशित अभिभावक।
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📝 क्या कहेगा प्रशासन?
अब यह देखना होगा कि इस ख़ुलासे के बाद प्रशासन और शिक्षा विभाग की ओर से क्या कार्रवाई की जाती है। स्थानीय लोगों की नज़र जिला शिक्षा अधिकारी पर टिकी है।
🔴 मुख्य बातें:
दो सालों में भी नहीं मिली किताबें, छात्रों का भविष्य संकट में
शिक्षक न के बराबर, योग्यता पर भी सवाल
शिक्षा विभाग और प्रशासन की चुप्पी से नाराज़ परिजन
कोचिंग सेंटर बंद करने की उठी मांग
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