पंचायत-निकाय चुनावों की बज गई रणभेरी, चुनावों से मुद्दे गायब. भाजपा- कांग्रेस में प्रत्याशियों को लेकर संशय.

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बीजापुर- निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की आचार संहिता आज से लागू हो गई है। 23 फ़रवरी तक आचार संहिता लागू रहेगी। इसी दौरान नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव कराये जायेंगे। चुनावों मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। निकाय में दोनों दलों के पार्षद प्रत्याशी और अध्यक्ष प्रत्याशी अपना अपना दमखम दिखाने में लगे हैं। बीजापुर नगरपालिका में अध्यक्ष का आरक्षण अनुसूचित जाति महिला आने से दिक्कतों के माथे पर पसीना आ गया। सालों से तैयारी कर रहे नेता असहाय होकर पार्षदी में अपना जोर आजमाने को मजबूर है।  वहीं जिला पंचायत में अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति महिला हो जाने से सारे समीकरण उलट गए हैं। 

बीजापुर में भाजपा कांग्रेस नेताओं में आरोप प्रत्यारोप नहीं के बराबर है। मुद्दे क्या होंगे किन मुद्दों पर प्रचार होगा ये भी स्पष्ट नहीं है। दोनों दलों के नेता अब तक शतरंज की बिसात पर सेफ खेलते दिख रहे हैं। इसका मतलब कहीं दल बदलने से तो नहीं। भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा- कांग्रेस की चुप्पी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। निकाय चुनावों में पार्षद निधि में गड़बड़ी की महज चर्चा है मुद्दा नहीं बन पाया। सीसी सड़क की बिलिंग में गड़बड़ी वाली चर्चायें हैं मुद्दा नहीं बन पाया है। काँग्रेस सरकार में सरकारी जमीन को कौड़ियों के भावों में बड़े व्यापारियों को दे देने की भी महज़ चर्चा है मुद्दा नहीं। या कालिख में दोनों के हाथ काले हैं इसी वजह से लगता है नगरवासियों की चर्चा महज़ चर्चा तक ही रह जाएगी मुद्दा नहीं बन पाएगा। 

वहीं जिला पंचायत, जनपद पंचायत और ग्राम पंचायतों में राशि बदरबाँट की ख़बरें मुद्दा नहीं बना पाईं। कई पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन में शौचालय बनाने के नाम पर लाखों की अग्रिम राशि डकार ली गई मुद्दा नहीं बना। चारागाह के नाम पर मोटी राशि पंचायतों से निकली मुद्दा नहीं बना। तालाबों के नाम पर खेला हुआ मुद्दा नहीं बना। 

सड़क बनाने के नाम पर पंचायत और फारेस्ट एरिया में हजारों पेड़ों को काटा गया। करोड़ों का खेल ठेकेदार अधिकारियों के साथ मिलकर खेला गया मुद्दा नहीं बना। पत्रकार मुकेश चंद्राकर के हत्यारे सुरेश चंद्राकर की सड़क में करोड़ों के हेरफेर की खबरों के बीच कार्रवाई जरूर हुई। उसी के इर्द गिर्द बनी सड़कों का मामला मुद्दा नहीं बना।
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